अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास की परिभाषा :
जिस शब्द में पहला अथवा पूर्व पद प्रधान हो, अव्ययीभाव समास कहलाता है। इसमें पूर्व पद अव्यय के साथ उपसर्ग भी होता है। जब एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति हो तो ऐसे शब्द भी अव्ययीभाव समास के होते हैं। अव्यय लिंग, काल एवं कारक के अनुसार परिवर्तित नहीं होते हैं, इसलिए ये अविकारी शब्द कहलाते हैं। अव्यय के संयोग से समस्त पद अव्यय बन जाते हैं।
उदाहरण :
यथासमय = यथा + समय = समय के अनुसार
'यथासमय' समस्त पद में 'यथा' पूर्व पद तथा 'समय' उत्तर पद है। पूर्व पद 'यथा' अव्यय/उपसर्ग के साथ प्रधान भी होता है।
निम्नांकित शब्दों के पूर्व पद में 'आ' लगे हैं। उत्तर पद के मूल शब्द में 'आ' उपसर्ग जुड़कर समस्त पद का निर्माण करते हैं। समस्त पद बनने पर कारक चिह्न /विभक्ति/परसर्ग से, भर, तक आदि लुप्त हो जाते हैं।
समस्त पद विग्रह
आजन्म जन्म से
आमरण मरने तक
आजीवन जीवन भर
आकंठ कंठ तक
आपादमस्तक सिर से पैर तक
निम्न शब्दों के पहले पद में 'यथा' उपलब्ध है। उत्तर पद के मूल शब्द में 'यथा' अव्यय लगकर अव्ययीभाव समास बन जाते हैं।समास बनने के साथ ही 'के' विभक्ति चिह्न लोप हो जाते हैं।
समस्त पद विग्रह
यथामति मति के अनुसार
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
यथासंभव संभावना के अनुसार
यथाक्रम क्रम के अनुसार
यथारूचि रूचि के अनुसार
निम्न उदाहरण में प्रथम पद में 'प्रति' अव्यय है जो उत्तर पद से जुड़कर विभक्ति चिह्नरहित सामसिक पद बन जाते हैं। अव्यय प्रधान होने से समस्त पद अव्यय हो जाता है।
समस्त पद विग्रह
प्रतिदिन हर एक दिन
प्रतिवर्ष प्रत्येक वर्ष
प्रतिपल हर एक पल
प्रतिमास हरेक मास
प्रतिसप्ताह प्रत्येक सप्ताह
नीचे दिए गए शब्दों के पूर्व पद में उपलब्ध 'बे' उपसर्ग उत्तर पद के साथ संयोगकर समास का सृजन करते हैं। अव्यय के साथ जुड़ने से पूरा शब्द अव्ययीभाव हो जाता है।
समस्त पद विग्रह
बेरहम बिना रहम के
बेशक बिना शक के
बेनाम बिना नाम के
बेलगाम बिना लगाम के
बेकाम बिना काम के
निम्नलिखित समास शब्दों में एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति हो रही है। एक शब्द की पुनरावृत्ति होने वाले शब्द अव्ययीभाव समास के शब्द होते हैं।
समस्त पद विग्रह
घर घर हर घर
घड़ी घड़ी प्रत्येक घड़ी
साफ साफ स्पष्ट
रातों रात पूरी रात
धड़ा धड़ जल्दी से
अव्ययीभाव समास के शब्द:
समस्त पद विग्रह
दिनानुदिन प्रतिदिन
निर्विकार अपरिवर्तित
निधड़क बिना धड़क के
निर्विवाद बिना विवाद के
निर्भय बिना भय के
परोक्ष अप्रत्यक्ष
प्रत्यक्ष साक्षात
प्रत्यंग हर अंग
प्रत्युपकार उपकार के प्रति
प्रतिवार हर बार
अनुकूल स्वयं के अनुसार
अनुरूप रूप के अनुसार
अभ्यागत अतिथि
आसमुद्र समुद्र तक
अभूतपूर्व अनोखा
अनुगुण गुण के योग्य
आजानू घुटना तक
खंड खंड एक से दूसरे खंड तक
उपकूल कूल के निकट
उपगृह गृह के समीप
एकाएक अचानक
यथानाम नाम के अनुसार
निडर बिना डर के
अनजाने बिना जाने
हरघड़ी प्रत्येक क्षण
सहसा एक दम से
निस्संदेह बिना संदेह के
प्रत्येक हर एक
अध्यात्म आत्मा से सम्बंधित
बकायदा कायदे के साथ
भरपेट पेट भरकर
भरपूर पूरा भर कर
दिनभर पूरा दिन
रातभर पूरी रात
अकारण बिना कारण के
धीरे-धीरे मंद गति से
समस्त पद विग्रह
दिनानुदिन प्रतिदिन
निर्विकार अपरिवर्तित
निधड़क बिना धड़क के
निर्विवाद बिना विवाद के
निर्भय बिना भय के
परोक्ष अप्रत्यक्ष
प्रत्यक्ष साक्षात
प्रत्यंग हर अंग
प्रत्युपकार उपकार के प्रति
प्रतिवार हर बार
अनुकूल स्वयं के अनुसार
अनुरूप रूप के अनुसार
अभ्यागत अतिथि
आसमुद्र समुद्र तक
अभूतपूर्व अनोखा
अनुगुण गुण के योग्य
आजानू घुटना तक
खंड खंड एक से दूसरे खंड तक
उपकूल कूल के निकट
उपगृह गृह के समीप
एकाएक अचानक
यथानाम नाम के अनुसार
निडर बिना डर के
अनजाने बिना जाने
हरघड़ी प्रत्येक क्षण
सहसा एक दम से
निस्संदेह बिना संदेह के
प्रत्येक हर एक
अध्यात्म आत्मा से सम्बंधित
बकायदा कायदे के साथ
भरपेट पेट भरकर
भरपूर पूरा भर कर
दिनभर पूरा दिन
रातभर पूरी रात
अकारण बिना कारण के
धीरे-धीरे मंद गति से
हाथों हाथ एक हाथ से दूसरे हाथ
बेखटके बिना खटके
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