कर्मधारय समास
कर्मधारय समास का अर्थ :
कर्मधारय समास की परिभाषा :
कर्मधारय समास का उदाहरण :
अर्थ :
जिस समास शब्द में पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य हो,ये कर्मधारय समास के अंतर्गत आते हैं। इस सामासिक शब्द में उत्तर पद प्रधान होता है। इसमें पूर्व पद उत्तर पद की विशेषता बताते हैं।
उदाहरण : नीलकंठ = नील + कंठ = नीला है जो कंठ
उपरोक्त समास शब्द में पूर्व पद 'नील' विशेषण है जो उत्तर पद 'कंठ' की विशेषता बता रहा है, जैसे - नीला है जो कंठ अर्थात जो कंठ नीला है।
विशेषण :
जो शब्द विशेषता बताते हैं, उस शब्द को विशेषण कहा जाता है।
विशेष्य :
जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है, उस शब्द को विशेष्य कहा जाता है।
इसके साथ ही इस समास शब्द में एक पद उपमान और दूसरा पद उपमेय कहलाता है। यह सर्वदा आवश्यक नहीं कि उपमान पूर्व पद एवं उपमेय उत्तर पद हो। दोनों का स्थान परिवर्तित भी हो सकता है।इसमें किसी सामान्य का किसी असामान्य या प्रसिद्ध वस्तु से समानता दर्शाया जाता है। उपमेय को उपमान के समान बताया जाता है।
उपमान :
जिस असाधारण वस्तु के साथ साधारण वस्तु की समानता अथवा तुलना की जाती है, वह उपमान कहलाता है।
उपमेय :
जिस वस्तु की तुलना या समानता की जाती है, उसे उपमेय कहा जाता है।
निम्न उदाहरण में पूर्व पद 'चंद्र' उपमान तथा उत्तर पद 'मुख' उपमेय है। इसमें उपमेय को उपमान के समान सुंदर बताया गया है। इसका अर्थ, चाँद के समान मुख है।
उदाहरण : चंद्रमुख = चंद्र + मुख = चाँद के जैसा मुँह
एक अन्य उदाहरण :
चरणकमल = चरण + कमल = कमल रूपी चरण
उपरोक्त समास शब्द में उपमान और उपमेय का स्थान परिवर्तित हो गया है। इसमें पूर्व पद 'उपमेय' तथा उत्तर पद 'उपमान' है। स्थान परिवर्तन होने के उपरांत भी अर्थ 'कमल के समान चरण' होता है।
परिभाषा :
जिस समास के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का संबंध होता है वह सामासिक पद कर्मधारय समास कहलाता है।
कर्मधारय समास के उदाहरण :
विशेषण - विशेष्य कर्मधारय समास :
समस्त पद विग्रह
भलामानुष भला है जो मनुष्य
स्वेतांबर सफेद है जो वस्त्र
नीलगगन नीला है जो आकाश
सज्जन सच है जो जन
अधपका आधा है जो पका
नीलगाय नीला है जो गाय
पर्णकुटी पर्ण से बनी जो कुटी
श्यामसुंदर सुंदर है जो श्याम
पुरूषोत्तम पुरूषों में है जो उत्तम
परमेश्वर परम है जो ईश्वर
महादेव महान है जो देव
महाशय महान है जो आशय
दुरात्मा बुरी है जो आत्मा
महाविद्यालय महान है जो विद्यालय
महाकवि महान है जो कवि
नरोत्तम नरों में है जो उत्तम
सुपुत्र अच्छा है जो पुत्र
परमानंद परम है जो आनंद
परमात्मा परम है जो आत्मा
महाकाव्य महान है जो काव्य
पीतांबर पीला है जो वस्त्र
नीलांबर नीला है जो आकाश
महाजन महान है जो जन
नीलगगन नीला है जो आसमान
कृष्णसर्प काला है जो साँप
लालटोपी लाल है जो टोपी
कालीमिर्च काली है जो मिर्च
अकालमृत्यु अकाल है जो मृत्यु
शुभागमन शुभ है जो आगमन
लालमणि लाल है जो मणि
अंधविश्वास अंधा है जो विश्वास
सन्मार्ग सच्चा है जो पथ
नवयुवक नया है जो युवक
कापुरूष कायर है जो पुरूष
महापुरुष महान है जो पुरूष
महावीर महान है जो वीर
अंधकूप अंधेरा है जो कुआँ
वीरबाला वीर है जो बाला
निलोत्पल नीला है जो कमल
कृष्णमृग काला है जो हिरण
कटुक्ति कड़वी है जो बोली
ऋषिवर ऋषियों में है जो श्रेष्ठ
महाराज महान है जो राजा
रेश्मिजुल्फें रेशमी है जो जुल्फें
वीरपुरूष वीर है जो पुरूष
पर्णकुटी पर्ण से बनी जो कुटी
श्यामसुंदर सुंदर है जो श्याम
पुरूषोत्तम पुरूषों में है जो उत्तम
परमेश्वर परम है जो ईश्वर
महादेव महान है जो देव
महाशय महान है जो आशय
दुरात्मा बुरी है जो आत्मा
महाविद्यालय महान है जो विद्यालय
महाकवि महान है जो कवि
नरोत्तम नरों में है जो उत्तम
सुपुत्र अच्छा है जो पुत्र
परमानंद परम है जो आनंद
परमात्मा परम है जो आत्मा
महाकाव्य महान है जो काव्य
पीतांबर पीला है जो वस्त्र
नीलांबर नीला है जो आकाश
महाजन महान है जो जन
नीलगगन नीला है जो आसमान
कृष्णसर्प काला है जो साँप
लालटोपी लाल है जो टोपी
कालीमिर्च काली है जो मिर्च
अकालमृत्यु अकाल है जो मृत्यु
शुभागमन शुभ है जो आगमन
लालमणि लाल है जो मणि
अंधविश्वास अंधा है जो विश्वास
सन्मार्ग सच्चा है जो पथ
नवयुवक नया है जो युवक
कापुरूष कायर है जो पुरूष
महापुरुष महान है जो पुरूष
महावीर महान है जो वीर
अंधकूप अंधेरा है जो कुआँ
वीरबाला वीर है जो बाला
निलोत्पल नीला है जो कमल
कृष्णमृग काला है जो हिरण
कटुक्ति कड़वी है जो बोली
ऋषिवर ऋषियों में है जो श्रेष्ठ
महाराज महान है जो राजा
रेश्मिजुल्फें रेशमी है जो जुल्फें
वीरपुरूष वीर है जो पुरूष
उपमान-उपमेय कर्मधारय समास :
समस्त पद विग्रह
वचनामृत वचन रूपी अमृत
स्त्रीरत्न स्त्री रूपी रत्न
चरणविद चरण रूपी अरविंद
घनश्याम घन के समान श्याम
संसारसागर संसार रूपी सागर
मुखचँद्र चँद्र के समान मुख
नरसिंह नर रूपी सिंह
मुखकमल कमल जैसा मुँह
मृगलोचन मृग जैसी आँख
कमलनयन कमल के समान आँख
कनकलता सोना रूपी लता
भुजदंड दंड के समान भुजा
ग्रंथरत्न ग्रंथ रूपी रत्न
लौहपुरूष लोहे के समान पुरूष
देहलता देह रूपी लता
पुत्ररत्न पुत्र रूपी रत्न
क्रोधाग्नि क्रोध रूपी अग्नि
गगनांगन गगन रूपी आंगन
प्राणप्रिय प्राणों के समान प्रिय
करकमल कमल के समान हाथ
कुसुमकोमल फूल जैसी कोमल
विद्याधन विद्या रूपी धन
चंद्रवदन चंद्र के समान मुख
गुरुदेव गुरु रूपी देव
मृगनैनी मृग के समान नैन
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