बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि का अर्थ :
बहुव्रीहि समास की परिभाषा :
बहुव्रीहि समास का उदाहरण :
अर्थ:
बहु + व्रीहि = बहुव्रीहि
उपरोक्त शब्द में प्रथम पद 'बहु', द्वितीय पद 'व्रीहि' का विशेषण है। दोनों पद संयुक्त रूप से विशेषण बन जाते हैं।
परिभाषा :
जिस समास में दोनों पद संगठित होकर किसी तीसरे पद का निर्माण करते हैं एवं दोनों पद गौण होकर अन्य अर्थ प्रकट करते हैं, वे बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आते हैं।
सामान्य अर्थ में दोनों पद प्रभावहीन होकर किसी भिन्न संज्ञा का बोध कराते हैं।
साधारण शब्द में जिस समास के दोनों पद अप्रधान एवं उनके अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ निकलकर सामने प्रस्तुत हो, वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।
निम्नांकित उदाहरण में सामासिक शब्द 'गजवदन' में प्रथम पद 'गज' का अर्थ हाथी तथा उत्तर पद 'वदन' का अर्थ मुख होता है। विग्रह के उपरांत इसका अर्थ 'हाथी के समान मुख है जिनका' होता है।
परन्तु इसका सांकेतिक अर्थ 'गणेश' होगा क्योंकि यह शब्द गणेश जी के लिए ही प्रयुक्त होता है।
गजवदन = गज के समान मुख हो जिनका = गणेश
एक अन्य उदाहरण :
चक्रधर = चक्र है जो धारणकर्ता = विष्णु
उपरोक्त सामासिक पद 'चक्रधर' चक्र धारण करनेवाले को कहा जाता है, लेकिन इस नाम से विष्णु को संबोधित किया जाता है।
एक और उदाहरण :
शूलपाणि = त्रिशूल है जिसके पाणि (हाथ) में = शिव
उपरोक्त समस्त पद 'शूलपाणि' का सामान्य अर्थ जिनके हाथ त्रिशूल हो उसे 'शूलपाणि' कहा जाता है। इस शब्द से एक अन्य अर्थ 'शिव' प्रकट होता है। वस्तुतः शिव ही त्रिशूल धारक हैं।
समस्त पद विग्रह
भूतनाथ भूतों का नाथ (शिव)
त्रिलोचन तीन लोचन हैं जिनके (शिव)
चंद्रमौली चंद्र है जिसके मस्तक पर (शिव)
महादेव महान हैं जो देव (शिव)
चंद्रचूड़ चंद्रमा है जिनके चोटी पर (शिव)
आशुतोष जो शीघ्र संतुष्ट हो जाए (शिव)
चंद्रशेखर चंद्र है जिनके शिखर पर (शिव)
नीलकंठ नीला है कंठ जिनका (शिव)
त्रिनेत्र तीन नेत्र हैं जिनके (शिव)
पंचानन पाँच सिर हैं जिनके (शिव)
मृत्युंजय मृत्यु को जितने वाला (शिव)
इंदुशेखर इंदु हैं जिनके शीश पर (शिव)
चंद्रभाल चंद्र है जिसके ललाट पर (शिव)
आजानुबाहु घुटनों तक बाँह हैं जिनके(विष्णु)
पुण्डरीकाक्ष कमल जैसे आँखों वाले (विष्णु)
चतुर्भुज चार हैं भुजाएँ जिनके ((विष्णु)
पीतांबर पीले हैं वस्त्र जिनके (विष्णु)
गरूड़ध्वज गरूड़ है ध्वज जिनका (विष्णु)
चक्रपाणि चक्र है हाथ में जिनके (विष्णु)
वक्रतुंड वक्र सूँड़ है जिनके (गणेश)
गजानन गज समान सिर वाले (गणेश)
एकदंत एक दाँत है जिनका (गणेश)
लंबोदर लंबा है उदर जिनका (गणेश)
राधारमण राधा सह रमनेवाले (कृष्ण)
मुरलीधर मुरली धारक हैं जो (कृष्ण)
घनश्याम घन के समान काला (कृष्ण)
गोपाल गायों का पालन कर्ता (कृष्ण)
मन्मथ मन को मथनेवाला (कामदेव)
अनंग बिना अंग का है जो (कामदेव)
मनोज मन से जन्म लेनेवाला (कामदेव)
मकरध्वज मकर है ध्वज जिनका (कामदेव)
कपीश कपियोंं के ईश्वर हैं जो (हनुमान)
वज्रांग वज्र समान अंगवाले (हनुमान)
महावीर महान वीर हैं जो (हनुमान)
चतुरानन चार सिर हैं जिनके (ब्रह्मा)
नाभिज नाभि में जन्मा जो (ब्रह्मा)
चतुर्मुख चार मुख है जिनका (ब्रह्मा)
वाग्देवी भाषा की देवी है जो (सरस्वती)
श्वेताम्बरी श्वेत हैं वस्त्र जिनके (सरस्वती)
वीणापाणि वीणा है हाथ जिनके (सरस्वती)
दशानन दस हैं सिर जिसके (रावण)
लंकेश लंका का एश (रावण)
अंशुमाली अंशु है माला जिनकी (सूर्य)
दिनकर दिन का उत्पन्न कर्ता (सूर्य)
वज्रपाणि वज्र है हाथ जिनके (इंद्र)
वज्रायुध वज्र है आयुध जिनका (इंद्र)
जानकीवल्लभ जानकी के वल्लभ हैं जो (राम)
रत्नगर्भा रत्नों के गर्भ वाली (पृथ्वी)
पद्मासन कमल पर आसीन (लक्ष्मी)
शैलपुत्री शैल की पुत्री है जो (पार्वती)
मयूरवाहन मयूर है वाहन (कार्तिकेय)
हलधर हल का धारण कर्ता (बलराम)
खगेश खगों का ईश्वर है जो (गरुण)
निशाचर रात्रि विचरण कर्ता (राक्षस)
वज्रदंती वज्र जैसे दाँत हैंं जिसके(हाथी)
विषधर विष का धारक (साँप)
बसंतदूत बसंत ऋतु का दूत (कोयल)
बारहसिंगा बारह सींग हैं जिसके (हिरण)
षटपद छः पैर हैं जिसके (भौंरा)
पंकज कीचड़ में जन्मा ( कमल)
जलद जल प्रदानकर्ता (मेघ)
जलज जल जनित (कमल)
चंद्रचूड़ चंद्रमा है जिनके चोटी पर (शिव)
आशुतोष जो शीघ्र संतुष्ट हो जाए (शिव)
चंद्रशेखर चंद्र है जिनके शिखर पर (शिव)
नीलकंठ नीला है कंठ जिनका (शिव)
त्रिनेत्र तीन नेत्र हैं जिनके (शिव)
पंचानन पाँच सिर हैं जिनके (शिव)
मृत्युंजय मृत्यु को जितने वाला (शिव)
इंदुशेखर इंदु हैं जिनके शीश पर (शिव)
चंद्रभाल चंद्र है जिसके ललाट पर (शिव)
आजानुबाहु घुटनों तक बाँह हैं जिनके(विष्णु)
पुण्डरीकाक्ष कमल जैसे आँखों वाले (विष्णु)
चतुर्भुज चार हैं भुजाएँ जिनके ((विष्णु)
पीतांबर पीले हैं वस्त्र जिनके (विष्णु)
गरूड़ध्वज गरूड़ है ध्वज जिनका (विष्णु)
चक्रपाणि चक्र है हाथ में जिनके (विष्णु)
वक्रतुंड वक्र सूँड़ है जिनके (गणेश)
गजानन गज समान सिर वाले (गणेश)
एकदंत एक दाँत है जिनका (गणेश)
लंबोदर लंबा है उदर जिनका (गणेश)
राधारमण राधा सह रमनेवाले (कृष्ण)
मुरलीधर मुरली धारक हैं जो (कृष्ण)
घनश्याम घन के समान काला (कृष्ण)
गोपाल गायों का पालन कर्ता (कृष्ण)
मन्मथ मन को मथनेवाला (कामदेव)
अनंग बिना अंग का है जो (कामदेव)
मनोज मन से जन्म लेनेवाला (कामदेव)
मकरध्वज मकर है ध्वज जिनका (कामदेव)
कपीश कपियोंं के ईश्वर हैं जो (हनुमान)
वज्रांग वज्र समान अंगवाले (हनुमान)
महावीर महान वीर हैं जो (हनुमान)
चतुरानन चार सिर हैं जिनके (ब्रह्मा)
नाभिज नाभि में जन्मा जो (ब्रह्मा)
चतुर्मुख चार मुख है जिनका (ब्रह्मा)
वाग्देवी भाषा की देवी है जो (सरस्वती)
श्वेताम्बरी श्वेत हैं वस्त्र जिनके (सरस्वती)
वीणापाणि वीणा है हाथ जिनके (सरस्वती)
दशानन दस हैं सिर जिसके (रावण)
लंकेश लंका का एश (रावण)
अंशुमाली अंशु है माला जिनकी (सूर्य)
दिनकर दिन का उत्पन्न कर्ता (सूर्य)
वज्रपाणि वज्र है हाथ जिनके (इंद्र)
वज्रायुध वज्र है आयुध जिनका (इंद्र)
जानकीवल्लभ जानकी के वल्लभ हैं जो (राम)
रत्नगर्भा रत्नों के गर्भ वाली (पृथ्वी)
पद्मासन कमल पर आसीन (लक्ष्मी)
शैलपुत्री शैल की पुत्री है जो (पार्वती)
मयूरवाहन मयूर है वाहन (कार्तिकेय)
हलधर हल का धारण कर्ता (बलराम)
खगेश खगों का ईश्वर है जो (गरुण)
निशाचर रात्रि विचरण कर्ता (राक्षस)
वज्रदंती वज्र जैसे दाँत हैंं जिसके(हाथी)
विषधर विष का धारक (साँप)
बसंतदूत बसंत ऋतु का दूत (कोयल)
बारहसिंगा बारह सींग हैं जिसके (हिरण)
षटपद छः पैर हैं जिसके (भौंरा)
पंकज कीचड़ में जन्मा ( कमल)
जलद जल प्रदानकर्ता (मेघ)
जलज जल जनित (कमल)
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