Thursday, November 28, 2019

Gun our vriddhi sandhi

               गुण और वृद्धि स्वर संधि

गुण स्वर संधि की परिभाषा :

गुण स्वर संधि का उदाहरण :

वृद्धि स्वर संधि की परिभाषा :

वृद्धि स्वर संधि का उदाहरण :

गुण स्वर संधि की परिभाषा : 

गुण स्वर संधि में 'अ' या 'आ' से  इ / ई , उ / ऊ  तथा 'ऋ' का मेल होने का परिणाम अर्थात उसके स्थान पर क्रमशः ए , ओ तथा अर का प्रयोग होता है।

जैसे :

देव + इंद्र = देवेंद्र           (अ + इ = ए)

उपरोक्त दो शब्द 'देव' तथा 'इंद्र' के संधि हेतु पहला शब्द 'देव' का अंतिम स्वर 'अ' तथा दूसरा शब्द 'इंद्र' का प्रथम स्वर वर्ण 'इ' के योग करने पर 'ए' में बदल जाता है और पहले शब्द का अंतिम व्यंजन में 'ए' की मात्रा लगकर 'वे' हो जाता है जिससे देव और इंद्र के जुड़ने पर 'देवेंद्र' हो जाता है। इसी अनुसार निम्न शब्दों का भी निर्माण होता है।

गण +ईश = गणेश         (अ + ई = ए)
महा + इंद्र = महेंद्र          (आ + इ = ए)
महा + ईश = महेश।      (आ + ई = ए)
चंद्र + उदय = चंद्रोदय    (अ + उ = ओ)
जल + ऊर्मि = जलोर्मि    (अ + ऊ = ओ)
महा+ उदय = महोदय     (आ + उ = ओ)
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि     (आ + ऊ = ओ)
देव + ऋषि = देवर्षि        (अ + ऋ = अर)
महा + ऋषि = महर्षि       (आ + ऋ = अर)

निम्नलिखित संधि में दो शब्दों में से पहले शब्द के अंत में 'अ' या 'आ' हो तथा दूसरे शब्द का प्रथम शब्द 'इ' या 'ई' हो तब दोनों के योग करने पर वह 'ए' में परिवर्तित हो जाता है। साथ ही प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'ए' की मात्रा से सुशोभित हो जाता है।

गुण स्वर संधि का उदाहरण :

अ + इ = ए
अ + ई = ए
आ + इ = ए
आ + ई = ए

(अ + इ = ए)

ईश्वर + इच्छा = ईश्वरेच्छा
खग + इंद्र = खगेंद्र
गज + इंद्र = गजेंद्र
जित + इंद्र =जितेंद्र
दर्शन + इच्छा = दर्शनेच्छा
नर + इंद्र = नरेंद्र
नाग + इंद्र = नागेंद्र
फल + इच्छा = फलेच्छा
बाल + इंद्र = बालेंद्र
भुजंग + इंद्र = भुजगेंद्र
मृग + इंद्र = मृगेंद्र
योग + इंद्र = योगेंद्र
राघव+ इंद्र = राघवेंद्र
विजय + इच्छा = विजयेच्छा
वीर + इंद्र = वीरेंद्र
शिव + इंद्र = शिवेंद्र
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
सुर + इंद्र = सुरेंद्र
ज्ञान + इंद्र = ज्ञानेंद्र

(अ + ई = ए)

उप + ईक्षा = उपेक्षा
एक + ईश्वर = एकेश्वर
कमल+ ईश = कमलेश
खग + ईश = खगेश
खग + ईश्वर = खगेश्वर
तारक + ईश = तारकेश
तारक + ईश्वर = तारकेश्वर
तप + ईश्वर = तपेश्वर
देव + ईश = देवेश
धन + ईश = धनेश
नाग + ईश = नागेश
नर + ईश = नरेश
नक्षत्र + ईश = नक्षत्रेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
पर्वत + ईश्वर = पर्वतेश्वर
प्राण + ईश्वर =प्राणेश्वर
ब्रज + ईश = ब्रजेश
भुवन + ईश्वर = भुवनेश्वर
भूत + ईश = भूतेश
भूत + ईश्वर = भूतेश्वर
राम + ईश्वर = रामेश्वर
रावण + ईश्वर = रावणेश्वर
लोक + ईश = लोकेश
लोक + ईश्वर = लोकेश्वर
वाम + ईश्वर = वामेश्वर
सर्व + ईश = सर्वेश
सर्व +ईश्वर = सर्वेश्वर
सुर + ईश = सुरेश
ज्ञान + ईश = ज्ञानेश
ज्ञान + ईश्वर = ज्ञानेश्वर

(आ + इ = ए)

यथा + इष्ट = यथेष्ट
रमा + इंद्र = रमेंद्र
राजा + इंद्र = राजेंद्र

(आ + ई = ए)

ऊर्मिला + ईश = ऊर्मिलेश
उमा + ईश = उमेश
गंगा + ईश = गंगेश
रमा + ईश = रमेश
राका + ईश = राकेश
लंका + ईश = लंकेश
लंका + ईश्वर = लंकेश्वर

नीचे दिए गए संधि में 'अ' या 'आ' को 'उ' या 'ऊ' से योग करने पर वह 'ओ' में बदल जाता है तथा पहले शब्द के आखिरी व्यंजन में 'ओ' की मात्रा लग जाता है।

(अ + उ = ओ)
(अ + ऊ = ओ)
(आ + उ = ओ)
(आ + ऊ = ओ)

(अ + उ = ओ)

आत्म + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग
अर्थ + उपार्जन = अर्थोपार्जन
आनंद + उत्सव = आनंदोत्सव
कर्ण + उद्धार = कर्णोद्धार
ग्राम + उद्धार = ग्रामोद्धार
ग्राम + उद्योग = ग्रामोद्योग
जन्म + उत्सव = जन्मोत्सव
डिम्ब + उद्घोष = डिम्बोद्घोष
दीप + उत्सव = दीपोत्सव
देव + उत्थान = देवोत्थान
धर्म + उपदेश = धर्मोपदेश
धीर + उदात्त + धीरोदात्त
धीर + उद्धत = धीरोद्धत
नव + उदय = नवोदय
नील + उत्पल = नीलोत्पल
पद + उन्नति = पदोन्नति
पर + उपकार = परोपकार
पश्चिम + उतर = पश्चिमोत्तर
पुरूष + उत्तम = पुरूषोत्तम
पूर्व + उदय = पूर्वोदय 
पूर्व + उत्तर = पूर्वोत्तर
प्र + उत्साहन = प्रोत्साहन
पुष्प + उद्यान = पुष्पोद्यान
फल +उदय = फलोदय
फेन + उज्ज्वल = फेनोज्ज्वल
भाग्य + उदय = भाग्योदय
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
मरण + उपरांत = मरणोपरांत
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
लुप्त + उपमा = लुप्तोमा
लोक + उत्तर = लोकोत्तर
वन + उत्सव = वनोत्सव
वसंत + उत्सव = वसंतोत्सव
विकास +उत्सव = विकासोत्सव
विकास + उन्मुख = विकासोन्मुख
विचार + उचित = विचारोचित
षोड्श + उपचार = षोड्शोपचार
सर्व + उच्च = सर्वोच्च
सर्व + उदय = सर्वोदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
सुर + उद्यान = सुरोद्यान
सूर्य + उदय = सूर्योदय
हर्ष + उल्लास = हर्सोल्लास
हित + उपदेश = हितोपदेश

(अ+ ऊ = ओ)

नव + ऊढा = नवोढा
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि

(आ + उ = ओ)

गंगा + उदक = गंगोदक
चिंता + उन्मुक्त = चिंतोन्मुक्त
झंडा + उत्तोलन = झंडोत्तोलन
ध्वजा + उत्तोलन = ध्वजोत्तोलन
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उपदेश = महोपदेश
यथा + उचित = यथोचित
लंबा + उदर = लंबोदर
विद्या + उपार्जन = विद्योपार्जन

(आ + ऊ = ओ)

धारा + ऊष्ण = धारोष्ण

निम्नांकित संधि में 'अ' या 'आ' को 'ऋ' से जोड़ने पर  'अर' में रूपांतरित होकर प्रथम शब्द के अंतिम व्यंजन 'अर' से युक्त हो जाता है। 

(अ + ऋ = अर)

ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
सुख + ऋत = सुखार्त

(आ + ऋ = अर)

राजा + ऋषि = राजर्षि

वृद्धि स्वर संधि की परिभाषा :

वृद्धि स्वर संधि में अ/आ के साथ ए/ऐ का मेल होने पर 'ऐ' तथा ओ/औ का मेल होने पर 'औ' का रूप ग्रहण करने के साथ पहले शब्द का अंतिम व्यंजन क्रमशः ऐ, औ की मात्रा से युक्त हो जाता है।

विस्तारपूर्वक,

इसमें दो शब्दों की संधि हेतु पहले शब्द का अंतिम स्वर वर्ण 'अ' या 'आ' के साथ दूसरे शब्द का पहला स्वर वर्ण 'ए'या'ऐ' के योग का परिणाम 'ऐ'हो जाता है तथा इसी तरह  अ/आ से 'ओ' या 'औ' का योग करने का परिणाम 'औ' हो जाता है। उसके उपरांत पहले शब्द का अंतिम व्यंजन परिवर्तित स्वर वर्ण की मात्रानुसार ऐ/औ से अलंकृत हो जाता है।

जैसे :

एक + एक = एकैक  (अ + ए = ऐ)

उपरोक्त दो शब्दों में से प्रथम शब्द 'एक' का अंतिम स्वर 'अ' है। दूसरे शब्द 'एक' का प्रथम स्वर वर्ण 'ए' है। दोनों को जोड़ने पर वह 'ऐ' का रूप धारण करता है। उसके पश्चात प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'क' में 'ऐ' की मात्रा लगकर एवं 'एक' और 'एक' संयुक्त होकर 'एकैक' हो जाता है।

अ + ए = ऐ
अ + ऐ = ऐ
आ + ए = ऐ
आ + ऐ = ऐ
अ + ओ = औ
आ + ओ = औ
अ + औ = औ
आ + औ = औ

वृद्धि स्वर संधि का उदाहरण :

( अ + ए = ऐ )

अद्य + एव = अद्यैयैव
परम + एषणा = परमैषणा
लोक + एषणा = लोकैषणा

( अ + ऐ = ऐ )

टिक + ऐत = टिकैत
भाव + ऐश्वर्य = भावैश्वर्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
हित + ऐषी = हितैषी

( आ + ए = ऐ )

तथा + एव = तथैव
वसुधा + एव = वसुधैव
सदा + एव = सदैव

( आ + ऐ = ऐ )

गंगा + ऐश्वर्य = गंगैश्वर्य
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
राजा + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य

( अ + ओ = औ )

अधर + ओष्ठ = अधरौष्ठ
जल + ओध = जलौध
परम + ओज = परमौज
बिम्ब + ओष्ठ = बिम्बौष्ठ

( आ + ओ = औ )

गंगा + ओध = गंगौध
महा + ओज = महौज
महा + ओजस्वी = महौजस्वी

( अ + औ = औ )

गृह + औत्सक्य = गृहौत्सक्य
परम + औदार्य = परमौदार्य
परम + औषध = परमौषध
परम + औषधि = परमौषधि
वन + औषध = वनौषध
वन + औषधि = वनौषधि
सुर + औदार्य = सुरौदार्य

( आ + औ = औ )

महा + औषध = महौषध
महा + औषधि = महौषधि
महा + औत्सक्य = महौत्सक्य




























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