संधि और दीर्घ संधि
- संधि का अर्थ :
- संधि की परिभाषा :
- संधि विच्छेद :
- संधि के प्रकार :
- दीर्घ स्वर संधि :
संधि का अर्थ :
सम् + धि = संधि (मेल या मिलाप )
संधि का अर्थ वर्णों का जोड़, वर्णों का मेल या वर्णों के बीच समझौता करना होता है।
संधि की परिभाषा :
दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार अर्थात परिवर्तन होता है, इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं।
दूसरे तरह से,
जब दो शब्दांश या शब्द परस्पर योग करते हैं तो स्वर और व्यंजन में जो बदलाव आता है, वह संधि कहलाता है।
दो वर्ण एक दूसरे से मिलने हेतु नजदीक आते हैं तो इनकी निकटता को 'संहिता' कहते हैं।
उदाहरण : भाव + अर्थ = भावार्थ
उपरोक्त दो शब्द 'भाव' एवं 'अर्थ' का संधि करने हेतु सर्वप्रथम प्रत्येक शब्द का वर्ण विच्छेद करेंगे।
भाव का वर्ण विच्छेद = भ् + आ + व् + अ
अर्थ का वर्ण विच्छेद = अ + र् + थ् + अ
इन दोनों शब्दांशो को जोड़ने हेतु 'भाव' के वर्ण विच्छेद का अंतिम वर्ण 'अ' तथा 'अर्थ' के वर्ण विच्छेद का प्रथम वर्ण 'अ' को लिया जाता है। दोनों का मेल करने पर 'आ' में बदल जाता है। इसके पश्चात प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'व' में आ की मात्रा लगकर 'वा' हो जाता है।
ये दोनों ह्स्व वर्णोंं का मेल करने पर दीर्घ वर्ण 'आ' के रूप में परिवर्तित हो जाता है जिसका संधि 'भावार्थ' होगा।
साधारण शब्दों में, प्रथम शब्द का अंतिम तथा दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण को मिलाकर संधि किया जाता है।
उदाहरण : हिम + आलय = हिमालय
संधि विच्छेद :
संधि को तोड़ना, अलग करना या विखंडित करना संधि विच्छेद कहलाता है।
जैसे : शिवालय = शिव + आलय
ग्रंथालय = ग्रंथ + आलय
संधि के प्रकार :
संधि तीन प्रकार के होते हैं।
(क) स्वर संधि
(ख) व्यंजन संधि
(ग) विसर्ग संधि
(क) स्वर संधि की परिभाषा :
दो स्वर वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे स्वर संधि कहते हैं।
जैसे : देव + आलय = देवालय
'देव' शब्दांश के अंत में 'अ' तथा 'आलय' के प्रारंभ में 'आ' स्वर हैं। 'अ' तथा 'आ' के योग से 'अ' दीर्घ रूप 'आ' में बदल जाता है। इस तरह 'देव' का अंतिम वर्ण 'व', ' वा'में परिवर्तित होकर देवालय शब्द बन जाता है।
स्वर संधि के भेद :
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं।
(1) दीर्घ स्वर संधि
(2) गुण स्वर संधि
(3) वृद्धि स्वर संधि
(4) यण स्वर संधि
(5) अयादि स्वर संधि
(1) दीर्घ स्वर संधि :
जब ह्स्व या दीर्घ स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ के साथ ह्स्व या दीर्घ स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ का मेल होता है तब दीर्घ रूप आ, ई, ऊ, ऋ में विकार उत्पन्न होता है अर्थात वह दीर्घ रूप में बदल जाता है। अतः इस तरह के परिवर्तन को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं।
निम्नांकित उदाहरण में ह्स्व स्वर 'अ' तथा ह्स्व स्वर 'अ' संयुक्त होकर दीर्घ स्वर 'आ' का रूप धारण करते हैं। उसके पश्चात प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'आ' की मात्रा से सुसज्जित होकर एक नवीन शब्द का निर्माण करता है।
(अ + अ = आ )
अधिक + अंश = अधिकांश अन्न + अभाव = अन्नाभाव
अन्य + अन्य = अन्यान्य
अयन + अंश = अयनांश
अस्त + अचल = अस्ताचल
अस्त + अचल = अस्ताचल
उत्तर + अयन = उत्तरायण
उदय + अचल = उदयाचल
उदय + अचल = उदयाचल
एक + अंकी = एकांकी
करूण + अमृत = करूणामृत
क्रम + अनुसार = क्रमानुसार
कूर्म + अवतार = कूर्मावतार
कूर्म + अवतार = कूर्मावतार
काम + अन्य = कामान्य
काम + अरि = कामारि
काल + अंतर = कालांतर
काल + अग्नि = कालाग्नि
काल + अंतर = कालांतर
काल + अग्नि = कालाग्नि
केशव + अरि = केशवारि
क्रोध + अग्नि = क्रोधाग्नि
क्रोध + अग्नि = क्रोधाग्नि
कंस + अरि = कंसारि
कल्प + अंत = कल्पांत
कोमल + अंगी = कोमलांगी
केश + अंत = केशांत
कौरव + अरि = कौरवारि
कृष्ण + अवतार = कृष्णावतार
कृष्ण + अवतार = कृष्णावतार
गीत + अंजली = गीतांजली
गोत्र + अध्याय = गोत्राध्याय
गौरव + अन्वित = गौरवान्वित
गौरव + अन्वित = गौरवान्वित
घन + अंधकार = घनांधकार
चरण + अरविंद = चरणाविंद
चरण + अमृत = चरणामृत
चरित्र + अंकन = चरित्रांकन
चित्र + अंकन = चित्रांकन
चित्र + अंकन = चित्रांकन
छात्र + अवकाश = छात्रावकाश
जन्म + अंतर = जन्मांंतर
जनक + अंगजा = जनकांगजा
जीर्ण + अंचल = जीर्णांचल
ज्ञान + अभाव =ज्ञानाभाव
ज्ञान + अंजन = ज्ञानांजन
तिमिर + अरि = तिमिरारि
तुरीय + अवस्था = तुरीयावस्था
त्रिगुण + अतीत = त्रिगुणातीत
दर्शन + अर्थ = दर्शनार्थ
दाव +अग्नि = दावाग्नि
दाव + अनल = दावानल
देश + अटन = देशाटन
देश + अंतर = देशांतर
दंडक + अरण्य = दंडकारण्य
दक्षिण + अयन = दक्षिणायन
दानव + अरि = दानवारि
दास + अनुदास = दासानुदास
दिन + अंक = दिनांक
दिन + अंत = दिनांत
दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र
दीप + अवली = दीपावली
देव + अंगना = देवांगना
देव + अर्चन = देवार्चन
देव + अर्चन = देवार्चन
देव + अंशु = देवांशु
दैत्य + अरि = दैत्यारि
धर्म + अधिकारी = धर्माधिकारी
धर्म + अंध = धर्मांध
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
धन + अधीश = धनाधीश
धन + अभाव = धनाभाव
धर्म + अधर्म = धर्माधर्म
धर्म + अवतार =धर्मावतार
नर + अयन = नारायण
नाग + अधिराज = नागाधिराज
निम्न + अंकित = निम्नांकित
नियम + अवली = नियमावली
नाग + अधिराज = नागाधिराज
निम्न + अंकित = निम्नांकित
नियम + अवली = नियमावली
नील + अंजल = नीलांजल
नील + अंबर = नीलांबर
नयन + अम्बु = नयनाम्बु
नयन + अभिराम = नयनाभिराम
पंच + अमृत = पंचामृत
पंच + अग्नि = पंचाग्नि
पद +अधिकारी = पदाधिकारी
पद+ अवली = पदावली
पुलक + अवली = पुलकावली
पुलक + अवली = पुलकावली
पर + अर्थ = परार्थ
पर + अधीन =पराधीन
परम + अर्थ = परमार्थ
पाठ + अंतर = पाठांतर
पीत + अंबर =पीतांबर
पुंडरीक + अक्ष = पुंडरीकाक्ष
पूर्व + अनुराग = पूर्वानुराग
पूर्व + अंचल = पूर्वांचल
पूर्व + अनुमान = पूर्वानुमान
पूर्व + अभ्यास = पूर्वाभ्यास
प्रश्न + अनुसार = प्रश्नानुसार
फल + अफल = फलाफल
बद्ध +अनुराग = बद्धानुराग
बहुल + अंश = बहुलांश
भाव + अंतर = भावांतर
मत + अनुसार = मतानुसार
मत + अनुसार = मतानुसार
मंद + अग्नि = मंदाग्नि
मद + अंध = मदांध
मध्य + अंतर = मध्यांतर
मध्य + अवधि = मध्यावधि
मध्य + अवकाश = मध्यावकाश
मलय + अनिल = मलयानिल
मुख + अग्नि = मुखाग्नि
मृग + अंक = मृगांक
युग + अनुसार = युगानुसार
युग + अनुसार = युगानुसार
रस + अनुभूति = रसानुभूति
राम + अयन = रामायण
राम + अवतार = रामावतार
राज्य + अभिषेक = राज्याभिषेक
राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष
राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष
रूद्र + अक्ष = रूद्राक्ष
रूद्र + अवतार = रूद्रावतार
रोम + अवली = रोमावली
लाभ + अन्वित = लाभान्वित
लाभ + अन्वित = लाभान्वित
लिंग + अनुशासन = लिंगानुशासन
लिंग + अनुपात = लिंगानुपात
लोहित + अश्व = लोहिताश्व
लोक + अधिपति = लोकाधिपति
वंश + अंकुर = वंशाकुर
वंश + अनुक्रम = वंशानुक्रम
विचार + अधीन = विचाराधीन
विकल + अंग = विकलांग
विद्या + अध्ययन = विद्याध्ययन
वीर + अंगना = वीरांगना
वेद + अंत = वेदांत
वेद + अध्ययन = वेदाध्ययन
वर्णन + अतीत = वर्णनातीत
शक + अरि = शकारि
शत + अब्दी = शताब्दी
शब्द + अलंकार = शब्दालंकार
शरीर + अंत = शरीरांत
शस्त्र + अस्त्र = शस्त्रास्त्र
शरण +अर्थी = शरणार्थी
शश + अंक = शशांक
शस्त्र + अनुसार = शस्त्रानुसार
शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ
शिव + अम्बु = शिवाम्बु
श्वेत + अंबर = श्वेतांबर
श्लेष + अलंकार = श्लेषालंकार
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
सत्य + असत्य = सत्यासत्य
सत्य + अन्वेषी = सत्यान्वेषी
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष
समय + अभाव = समयाभाव
समान + अधिकार = समानाधिकार
समान + अंतर = समानांतर
सर्व + अधिक = सर्वाधिक
सार + अंश = सारांश
स्वर्ण + अक्षर = स्वर्णाक्षर
सह + अनुभूति = सहानुभूति
स + अवधान = सावधान
सुर + असुर = सुरासुर
स्व + अर्थ = स्वार्थ
स्व + अर्थी = स्वार्थी
स्व + अधीन = स्वाधीन
स्व + अधीनता = स्वाधीनता
स्व + अवलंबी = स्वावलंबी
स्व + अभिमान = स्वाभिमान
स्व + अध्याय = स्वाध्याय
हरिण + अक्षी = हरिणाक्षी
हीन + अवस्था = हीनावस्था
त्रिपुर + अरि = त्रिपुरारि
निम्नलिखित उदाहरण में ह्स्व स्वर 'अ' तथा दीर्घ स्वर 'आ' के मेल से दीर्घ स्वर 'आ' की उत्पत्ति होती है। उसके उपरांत प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'आ' की मात्रा से सजकर नया शब्द बनता है।
अन + आदर = अनादर
अन + आवृष्टि = अनावृष्टि
वंश + अंकुर = वंशाकुर
वंश + अनुक्रम = वंशानुक्रम
विचार + अधीन = विचाराधीन
विकल + अंग = विकलांग
विद्या + अध्ययन = विद्याध्ययन
वीर + अंगना = वीरांगना
वेद + अंत = वेदांत
वेद + अध्ययन = वेदाध्ययन
वर्णन + अतीत = वर्णनातीत
शक + अरि = शकारि
शत + अब्दी = शताब्दी
शब्द + अलंकार = शब्दालंकार
शरीर + अंत = शरीरांत
शस्त्र + अस्त्र = शस्त्रास्त्र
शरण +अर्थी = शरणार्थी
शश + अंक = शशांक
शस्त्र + अनुसार = शस्त्रानुसार
शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ
शिव + अम्बु = शिवाम्बु
श्वेत + अंबर = श्वेतांबर
श्लेष + अलंकार = श्लेषालंकार
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
सत्य + असत्य = सत्यासत्य
सत्य + अन्वेषी = सत्यान्वेषी
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष
समय + अभाव = समयाभाव
समान + अधिकार = समानाधिकार
समान + अंतर = समानांतर
सर्व + अधिक = सर्वाधिक
सार + अंश = सारांश
स्वर्ण + अक्षर = स्वर्णाक्षर
सह + अनुभूति = सहानुभूति
स + अवधान = सावधान
सुर + असुर = सुरासुर
स्व + अर्थ = स्वार्थ
स्व + अर्थी = स्वार्थी
स्व + अधीन = स्वाधीन
स्व + अधीनता = स्वाधीनता
स्व + अवलंबी = स्वावलंबी
स्व + अभिमान = स्वाभिमान
स्व + अध्याय = स्वाध्याय
हरिण + अक्षी = हरिणाक्षी
हीन + अवस्था = हीनावस्था
त्रिपुर + अरि = त्रिपुरारि
निम्नलिखित उदाहरण में ह्स्व स्वर 'अ' तथा दीर्घ स्वर 'आ' के मेल से दीर्घ स्वर 'आ' की उत्पत्ति होती है। उसके उपरांत प्रथम शब्द का अंतिम व्यंजन 'आ' की मात्रा से सजकर नया शब्द बनता है।
(अ + आ = आ)
असुर + आलय = असुरालयअन + आदर = अनादर
अन + आवृष्टि = अनावृष्टि
अनाथ + आलय = अनाथालय
अमर + आसन = अमरासन
अंड + आकार = अंडाकार
अश्व + आरोही = अश्वारोही
अल्प + आयु = अल्पायु
एक + आनन = एकानन
कृष्ण + आनंद = कृष्णानंद
कुश + आसन = कुशासन
गज + आनन = गजानन
गुरुत्व + आकर्षण = गुरुत्वाकर्षण
गेय + आत्मकता = गेयात्मकता
गोल + आकार = गोलाकार
धन + आनंद = धनानंद
चतुर + आनंद = चतुरानंद
चतुर + आनन = चतुरानन
चंद्र + आकार = चंद्राकार
चरण + आयुद्ध = चरणायुद्ध
चिर + आयु = चिरायु
छात्र + आवास = छात्रावास
जल + आशय = जलाशय
जन + आश्रम = जनाश्रम
जन + आश्रय = जनाश्रय
ज्ञान + आत्मा = ज्ञानात्मा
तिमिर + आच्छादित = तिमिराच्छादित
तमस + आच्छन्न = तमसाच्छन्न
तमस + आवृत = तमसावृत
तुषार + आवृत्त = तुषारावृत्त
देव + आगमन = देवागमन
दूत + आवास = दूतावास
द्रोण + आचार्य = द्रोणाचार्य
दश + आनन = दशानन
दूर + आगत = दूरागत
देव + आलय = देवालय
देव + अंगना = देवांगना
दोष + आरोपण = दोषारोपण
दर्शन + आचार्य = दर्शनाचार्य
दुग्ध + आहार = दुग्धाहार
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
धन + आदेश = धनादेश
धन + आनंद = धनानंद
धर्म + आचार्य = धर्माचार्य
धूम + आच्छन्न = धूमाच्छन्न
नीच + आशय = नीचाशय
न्याय + आलय = न्यायालय
न्याय + अधीश = न्यायाधीश
नृत्य + आलय = नृत्यालय
निम्न + अनुसार =निम्नानुसार
पंच + आनंद = पंचानंद
पंच + आनन = पंचानन
पत्र + आचार = पत्राचार
पद + आक्रांत = पदाक्रांत
पद + आरूढ = पदारूढ
परम + आत्मा = परमात्मा
परम + आवश्यक = परमावश्यक
पुण्य + आत्मा = पुण्यात्मा
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
पूर्व + आग्रह = पूर्वाग्रह
प्र + आगण = प्रांगण
प्राण + आधार = प्राणाधार
प्र + आचार्य = प्राचार्य
प्र + अध्यापक = प्राध्यापक
प्रधान + आचार्य = प्रधानाचार्य
फल + आहार = फलाहार
फल + आदेश = फलादेश
फल + आकांक्षा = फलाकांक्षा
फल + आगम = फलागम
बद्ध + अंजली = बद्धांजली
ब्रह्मचर्य + आश्रम = ब्रह्मचर्याश्रम
भोजन +आलय = भोजनालय
भद्र + आसन = भद्रासन
भव + आतुर = भवातुर
भाव + आवेश = भावावेश
मंगल + आकार = मंगलाकार
मत्स्य + आकार = मत्स्याकार
मरण + आसन्न = मरणासन्न
महत्व + आकांक्षा = महत्वकांक्षा
महत्व + आकांक्षी = महत्वाकांक्षी
मुख + आकृति = मुखाकृति
मेघ + आच्छन्न = मेघाच्छन्न
रक्त + आभ = रक्ताभ
रस + आस्वादन = रसास्वादन
रत्न + आकर = रत्नाकर
रस + आत्मक = रसात्मक
रस + आभास = रसाभास
राज्य + आगार = राज्यागार
राम + आधार = रामाधार
राम + आनंद = रामानंद
लाट + अनुप्रास = लाटानुप्रास
लोक + आयतन = लोकायतन
लोप + आमुद्रा = लोपामुद्रा
वज्र + आघात = वज्राघात
वज्र + आयुद्ध = वज्रायुद्ध
वसंत + आगमन = वसंतागमन
वस्त्र + आलय = वस्त्रालय
वर्ण + आश्रम = वर्णाश्रम
वर्ग + आकार = वर्गाकार
विंध्य + आचल = विंध्याचल
व्यायाम + आदि = व्यायामादि
शरण + आगत = शरणागत
शिष्ट + आचार = शिष्टाचार
शिव + आलय = शिवालय
शुभ + आरंभ = शुभारंभ
शुभ + अंशु = शुभ्रांशु
श्लोक + आबद्ध = श्लोकाबद्ध
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
सत्य + आग्रही = सत्याग्रही
संशय + आत्मक = संशयात्मक
संदेह + आत्मक = संदेहात्मक
संकट + आपन्न = संकटापन्न
संगीत + आत्मक = संगीतात्मक
संग्रह + आलय = संग्रहालय
स + आश्चर्य = साश्चर्य
साहित्य + आचार्य = साहित्याचार्य
सिंह + आसन = सिंंहासन
हत + आश = हताश
हत + आहत = हताहत
हिम + आचल = हिमाचल
हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित
हास्य + आस्पद = हास्यास्पद
त्रिभुज + आकार = त्रिभुजाकार
क्षुद्र + आत्मा = क्षुद्रात्मा
निम्न उदाहरण में दीर्घ स्वर 'आ' तथा ह्स्व स्वर 'अ' के योग से दीर्घ स्वर 'आ' के रूप में परिवर्तन होता है । जिससे पहले शब्द के अंतिम व्यंजन में 'आ' की मात्रा लगता है।
अमर + आसन = अमरासन
अंड + आकार = अंडाकार
अश्व + आरोही = अश्वारोही
अल्प + आयु = अल्पायु
एक + आनन = एकानन
कृष्ण + आनंद = कृष्णानंद
कुश + आसन = कुशासन
गज + आनन = गजानन
गुरुत्व + आकर्षण = गुरुत्वाकर्षण
गेय + आत्मकता = गेयात्मकता
गोल + आकार = गोलाकार
धन + आनंद = धनानंद
चतुर + आनंद = चतुरानंद
चतुर + आनन = चतुरानन
चंद्र + आकार = चंद्राकार
चरण + आयुद्ध = चरणायुद्ध
चिर + आयु = चिरायु
छात्र + आवास = छात्रावास
जल + आशय = जलाशय
जन + आश्रम = जनाश्रम
जन + आश्रय = जनाश्रय
ज्ञान + आत्मा = ज्ञानात्मा
तिमिर + आच्छादित = तिमिराच्छादित
तमस + आच्छन्न = तमसाच्छन्न
तमस + आवृत = तमसावृत
तुषार + आवृत्त = तुषारावृत्त
देव + आगमन = देवागमन
दूत + आवास = दूतावास
द्रोण + आचार्य = द्रोणाचार्य
दश + आनन = दशानन
दूर + आगत = दूरागत
देव + आलय = देवालय
देव + अंगना = देवांगना
दोष + आरोपण = दोषारोपण
दर्शन + आचार्य = दर्शनाचार्य
दुग्ध + आहार = दुग्धाहार
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
धन + आदेश = धनादेश
धन + आनंद = धनानंद
धर्म + आचार्य = धर्माचार्य
धूम + आच्छन्न = धूमाच्छन्न
नीच + आशय = नीचाशय
न्याय + आलय = न्यायालय
न्याय + अधीश = न्यायाधीश
नृत्य + आलय = नृत्यालय
निम्न + अनुसार =निम्नानुसार
पंच + आनंद = पंचानंद
पंच + आनन = पंचानन
पत्र + आचार = पत्राचार
पद + आक्रांत = पदाक्रांत
पद + आरूढ = पदारूढ
परम + आत्मा = परमात्मा
परम + आवश्यक = परमावश्यक
पुण्य + आत्मा = पुण्यात्मा
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
पूर्व + आग्रह = पूर्वाग्रह
प्र + आगण = प्रांगण
प्राण + आधार = प्राणाधार
प्र + आचार्य = प्राचार्य
प्र + अध्यापक = प्राध्यापक
प्रधान + आचार्य = प्रधानाचार्य
फल + आहार = फलाहार
फल + आदेश = फलादेश
फल + आकांक्षा = फलाकांक्षा
फल + आगम = फलागम
बद्ध + अंजली = बद्धांजली
ब्रह्मचर्य + आश्रम = ब्रह्मचर्याश्रम
भोजन +आलय = भोजनालय
भद्र + आसन = भद्रासन
भव + आतुर = भवातुर
भाव + आवेश = भावावेश
मंगल + आकार = मंगलाकार
मत्स्य + आकार = मत्स्याकार
मरण + आसन्न = मरणासन्न
महत्व + आकांक्षा = महत्वकांक्षा
महत्व + आकांक्षी = महत्वाकांक्षी
मुख + आकृति = मुखाकृति
मेघ + आच्छन्न = मेघाच्छन्न
रक्त + आभ = रक्ताभ
रस + आस्वादन = रसास्वादन
रत्न + आकर = रत्नाकर
रस + आत्मक = रसात्मक
रस + आभास = रसाभास
राज्य + आगार = राज्यागार
राम + आधार = रामाधार
राम + आनंद = रामानंद
लाट + अनुप्रास = लाटानुप्रास
लोक + आयतन = लोकायतन
लोप + आमुद्रा = लोपामुद्रा
वज्र + आघात = वज्राघात
वज्र + आयुद्ध = वज्रायुद्ध
वसंत + आगमन = वसंतागमन
वस्त्र + आलय = वस्त्रालय
वर्ण + आश्रम = वर्णाश्रम
वर्ग + आकार = वर्गाकार
विंध्य + आचल = विंध्याचल
व्यायाम + आदि = व्यायामादि
शरण + आगत = शरणागत
शिष्ट + आचार = शिष्टाचार
शिव + आलय = शिवालय
शुभ + आरंभ = शुभारंभ
शुभ + अंशु = शुभ्रांशु
श्लोक + आबद्ध = श्लोकाबद्ध
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
सत्य + आग्रही = सत्याग्रही
संशय + आत्मक = संशयात्मक
संदेह + आत्मक = संदेहात्मक
संकट + आपन्न = संकटापन्न
संगीत + आत्मक = संगीतात्मक
संग्रह + आलय = संग्रहालय
स + आश्चर्य = साश्चर्य
साहित्य + आचार्य = साहित्याचार्य
सिंह + आसन = सिंंहासन
हत + आश = हताश
हत + आहत = हताहत
हिम + आचल = हिमाचल
हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित
हास्य + आस्पद = हास्यास्पद
त्रिभुज + आकार = त्रिभुजाकार
क्षुद्र + आत्मा = क्षुद्रात्मा
निम्न उदाहरण में दीर्घ स्वर 'आ' तथा ह्स्व स्वर 'अ' के योग से दीर्घ स्वर 'आ' के रूप में परिवर्तन होता है । जिससे पहले शब्द के अंतिम व्यंजन में 'आ' की मात्रा लगता है।
(आ + अ = आ)
आत्मा + अवलंबन = आत्मावलंबन
आशा + अतीत = आशातीत
जिह्वा + अग्र = जिह्वाग्र
झंझा + अनिल = झंझानिल
दीक्षा + अंत = दीक्षांत
द्वारका + अधीश = द्वारकाधीश
तथा + अस्त = तथास्तु
तथा + अस्त = तथास्तु
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
भाषा + अंतर = भाषांतर
महा + अमात्य = महामात्य
महा + अमात्य = महामात्य
यथा + अर्थ = यथार्थ
लेखा + अधिकारी = लेखाधिकारी
शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
श्रद्धा + अंजलि = श्रद्धांजलि
नीचे दिए गए उदाहरण में दोनों दीर्घ स्वर 'आ' मिलकर दीर्घ रूप 'आ' का आकार लेते हैं। पूर्व की तरह इसमें भी प्रथम शब्द के व्यंजन को 'आ' की मात्रा से सुशोभित किया जाता है।
कृपा + आचार्य = कृपाचार्य
कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
तथा + आगत = तथागत
दया + आनंद = दयानंद
निरा + आनंद = निरानंद
प्रेमा + आलाप = प्रेमालाप
मदिरा + आलय = मदिरालय
महा + आशय = महाशय
महा + आत्मा = महात्मा
राजा + आज्ञा = राजाज्ञा
लीला + आगार = लीलागार
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
विद्या + आलय = विद्यालय
शिला + आसन = शिवासन
शिक्षा + आलय = शिक्षालय
क्षुधा + आतुर = क्षुधातुर
क्षुधा + आर्त्त = क्षुधार्त्त
निम्नलिखित उदाहरण में ह्स्व 'इ' हो या दीर्घ 'ई', दोनों में से कोई भी इ / ई से जुड़ते हैं तो परिणाम पूर्ववत ही होता है अर्थात वे दीर्घ 'ई' में परिवर्तित हो जाते हैं, फिर प्रथम शब्द के आखिरी व्यंजन 'ई' की मात्रा में रूपांतरित हो जाते हैं।
जैसे -
इ + इ = ई
इ + ई = ई
ई + इ = ई
ई + ई = ई
( इ + इ = ई )
अभि + इष्ट = अभीष्ट
अति + इव = अतीव
अति + इंद्र = अतींद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र
गिरि + इंद्र = गिरींद्र
मुनि + इंद्र = मुनींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
( इ + ई = ई )
अधि + ईश्वर = अधीश्वर
अधि + ईश = अधीश
अधि + ईश = अधीश
कपि + ईश्वर = कपीश्वर
कपि + ईश = कपीश
कवि + ईश = कवीश
गिरि + ईश = गिरीश
परि + ईक्षा = परीक्षा
मुनि + ईश = मुनीश
रवि + ईश = रवीश
हरि +ईश = हरीश
( ई + इ = ई )
फनी + इंद्र = फनींद्र
रजनी + इंदु = रजनींदु
नारी + इंदु = नारींदु
मही + इंद्र = महींद्र
( ई + ई = ई )
जानकी + ईश = जानकीश
नदी + ईश = नदीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश
मही + ईश्वर = महीश्वर
रजनी + ईश = रजनीश
निम्नांकित उदाहरण में ह्स्व 'उ' या दीर्घ 'ऊ' से उ / ऊ का संयोग होने पर वह दीर्घ 'ऊ' में परिणत हो जाता है।इसके साथ ही प्रथम शब्द के अंतिम व्यंजन में दीर्घ 'ऊ' की मात्रा से विभूषित हो जाता है।
( उ + उ = ऊ )
( उ + ऊ = ऊ )
( ऊ + उ = ऊ )
( ऊ + ऊ = ऊ )
अनु + उपमेय = अनुपमेय
अनु + उपमेय = अनुपमेय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
भानु + उदय = भानूदय
लघु + उत्तरीय = लघूत्तरीय
विधु + उदय = विधूदय
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
भानु + ऊर्जा = भानूर्जा
चमू + उत्साह = चमूत्साह
वधू + उत्सव = वधूत्सव
वधू + उल्लेख = वधूल्लेख
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
नीचे दिए गए उदाहरण में ' ऋ ' का ' ऋ ' से मेल होने की स्थिति में विकार ' ऋ ' में होने के साथ ही ' ऋ ' की ही मात्रा का उपयोग होता है।
यद्यपि इसका प्रयोग सिर्फ संस्कृत में ही होता है।
पितृ + ऋण = पितृण
मातृ + ऋणाम = मातृणाम
नीचे दिए गए उदाहरण में ' ऋ ' का ' ऋ ' से मेल होने की स्थिति में विकार ' ऋ ' में होने के साथ ही ' ऋ ' की ही मात्रा का उपयोग होता है।
यद्यपि इसका प्रयोग सिर्फ संस्कृत में ही होता है।
पितृ + ऋण = पितृण
मातृ + ऋणाम = मातृणाम
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