गृहिणी हेतु जरूरी सुझाव
परिवार मेंं गृहिणी का स्थान अहम् माना जाता है।गृहिणियों की इच्छाशक्ति से घर मेंं समृद्धि और सम्पन्नता का प्रवेश होता है।गृहिणी अपनी चतुराई एवं बुद्धिमानी से घरेलू अपव्यय को संतुलित कर सकती हैं।
जिन गृहिणियों के ढाई या तीन वर्ष के छोटे बच्चे हैं और आप उन्हें प्ले स्कूल या निजी विद्यालय मेंं नामांकन कराने की विचार कर रही हैं तब आप एक निश्चय कर सकती हैं जिससे आप अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण कर एक अच्छी धन राशि का संचय कर सकती हैं।यद्यपि अधिकतर गृहिणियाँ इस योजना पर अमल कर संचित राशि को किसी दूसरे उपयोगी कार्योंं मेंं निवेश कर लाभ अर्जित कर रही हैं।
इसमें कोई जटिलता नहीं है बल्कि परिवार के सुखद भविष्य के लिए मजबूत इच्छाशक्ति का उपार्जन करना है।सफलता प्राप्ति के लिए इच्छाशक्ति एक सीढी के रूप मेंं कार्य करती है।किसी भी दुर्लभ लाभ की प्राप्ति हेतु इच्छा और शक्ति का समावेश सार्थक सफलता का सूचक माना जाता है।
विद्यालय मेंं नामांकन से पूर्व बच्चे का प्रथम विद्यालय उसका परिवार होता है एवं सबसे पहला शिक्षक उसकी माँ होती है।इस बात से आप सब परिचित हैं। बच्चे की माँ और परिवार के द्वारा बच्चे को पूर्ण रूप से तैयार कराने के बावजूद पूर्व प्राथमिक कक्षा मेंं नामांकन कराया जाता है।विद्यालयीय पूर्व प्राथमिक कक्षा मेंं सिर्फ वर्ण,शब्द परिचय (हिंदी एवं अंग्रेजी),गणित मेंं गिनती,पहाड़ा और कुछ जोड़,घटाव के साथ हिंदी और अंग्रेजी के कुछ कविताएं सीखाये जाते हैं।
इन गतिविधियों को पूरा करने मेंं लगभग सभी विद्यालय कम से कम एक वर्ष का समय लेकर मोटी रकम वसूल करते हैं।इससे बच्चों के माता-पिता का धन और समय का अपव्यय होता है।यद्यपि घर मेंं बच्चों को व्यक्तिगत रूप से पढाने पर इतना अधिक समय कदापि नहीं लगता है।
हमें इस तरह के अपव्यय पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।यकीन मानिए गृहिणी इस कार्य को नियमित रूप से छ: माह मेंं पूर्ण कर सकती हैं।इस तरह से एक अच्छी धन राशि बचत कर सकती हैं।ऐसा करने पर गृहिणियों के आत्म विश्वास मेंं इजाफा होगा। इसे व्यक्तिगत रूप से शिक्षा प्रदान करना कहा जाएगा।
इससे घरेलू कार्य से बचे समय का सदुपयोग होगा। इस बारे मेंं सोचने की अपेक्षा पहल करने या एक कदम बढाने की आवश्यकता है।कई गृहिणियाँ ऐसा कर अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण कर धन संचय कर रही हैं।
गृहिणी इस बात से इनकार नही कर सकती हैं कि इस छोटे से पाठ्यक्रम की तैयारी हेतु विद्यालय द्वारा कितने धन राशि का दोहन किया जाता है।
सच मानिए यदि गृहिणी यह निर्णय लेकर नियमितता से बच्चे को नर्सरी की गतिविधि पूर्ण कर विद्यालय मेंं नर्सरी के बाद की कक्षा मेंं नामांकन कराएँँ तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
जो गृहिणी बिना किसी पूर्व तैयारी के बच्चे की शिक्षा हेतु विद्यालय पर निर्भर होतीं हैंं उन्हें अब संवेदनशील होना आधुनिक समय की माँग है।क्योंकि बचत भविष्य की पूंजी है। एक अच्छी शुरूआत से कालांतर मेंं सुखद परिणाम प्राप्त होने की अपेक्षा है।
आत्मबल मेंं वृद्धि के साथ अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होंगी।जैसे-जैसे बच्चे मेंं बौद्धिक विकास होगा स्वत: आत्मतृप्ति के साथ आनंदायक वातावरण का उद्भव होगा।गृहिणी को बचपन के यादों की पुनरावृत्ति होगी। बच्चे की शैक्षिक विकास तीव्र गति से होने के साथ सार्थक निष्कर्ष निकलेंगे।इसके उपरांत पूर्ण मुस्तैदी से बच्चे विद्यालय मेंं प्रवेश करेंगे।
धन्यवाद।
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