Monday, October 14, 2019

मानवता

                            मानवता

पौराणिक कथाओं के मान्यतानुसार दानव मानवता के प्रचंड विरोधी हुआ करते थे।वे मानव को अपनी क्रीड़ा का साधन समझते थे।जब उनके मन मेंं मानव के प्रति क्रोध की अग्नि भड़कती थी तब वे उनको यात्नाएँ देने के साथ अकारण मौत के घाट उतार देते थे।

वे स्वयं को सर्वाधिक शक्तिशाली होने का दावा करते थे क्योंकि उनके पास बुराई की शक्ति थी। प्रारंभिक स्थिति मेंं बुराई ताकतवर होती है लेकिन अंतिम पड़ाव पर यह कमजोर हो कर समाप्त हो जाती है।सत्य ही कहा है "सत्य मेव जयते।"बुराई झूठ की बुनियाद पर टिकी होतीं है एवं अच्छाई,सच्चाई की आत्मा में बसी होती है।

आज इस संसार मेंं मानव रूपी दानवों की कमी नही है।इंसानियत का चोला पहनकर ये इंसानों पर अपना कहर बरपाते हैं।इनके अंदर स्वार्थ सिद्धि की भावना छुपी होती है।

वर्तमान समय मेंं हमारे देश मेंं भ्रष्टाचारी रूपी दानव विकराल रूप धारण किए हुए है।ये राष्ट्र की संपत्ति पर कब्जा करने के साथ ही आम आदमी के अधिकारों का हनन कर रहे हैं।ये समाज और देश को खोखला करने के षड्यंत्र मेंं लिप्त हैं।

कुछ ऐसे राक्षस हैं जो समाज और देश मेंं धर्म,जाति,भाषा,वर्ण,रंग और क्षेत्र के आधार पर लोगों के बीच नफरत,घृणा,द्वेष,ईर्ष्या और हिंसा का बीजारोपण कर संघर्ष को जन्म दे रहे हैं।

इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन शैतान होता है।शैतान का कोई धर्म नही होता।सार्वजनिक संपदा को वे अपनी निजी मिल्कियत मानते हैं।इनके फितरत मे इंसानों की कद्र नही होती बल्कि ये लोगों के भावनाओं को अपने पैरों तले रौंदते रहते हैं।इन्हें धन के आगे धर्म नही दिखता है।

दूसरी तरफ कुछ लोग इंसानों के रूप मेंं देवता होते हैं।ये मानवता के पूजारी होते हैं।इनमें सज्जनता कूट-कूट कर भरी होती है।ये सर्वदा सबकी मदद किया करते हैं। इनमें सहयोग की भावना अद्भुत होती है क्योंकि सहयोग मानवता की प्रतीक होती है।इनमे अच्छाई, सच्चाई और ईमानदारी का समंवय होता है।ऐसे लोग सबके बीच भाईचारा, सौहार्द और सद्भावना का विनिमय करते हैं।कुछ बुरे लोग जिनमेंं तनिक भी इंसानियत बची होती है उनका ह्रदय परिवर्तन कर अपना दायित्व निभाने हेतु प्रोत्साहित करते हैं।ये अपने घर को रौशन करने के बजाय सबके घर को रौशन करते हैं।

आज गिने-चुने सच्चे इंसानों की वजह से इस संसार मेंं दरिंदों,हिंसकों और आततायियों का बोलबाला नही है और न ही जंगली माहौल है।इन्ही सच्चे लोगों के सत्कर्मों से भूखे को भोजन, बीमार को दवा एवं बेसहारा को सहारा मिल पाता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो ये ईश्वर के संकेत पर दूत बनकर कष्ट और दुख का अंत करने आये हों क्योंकि सुकर्म करने हेतु शक्ति इन्हे ईश्वर से प्राप्त होती है।इनके तेज के प्रभाव से लोगों के चरित्र मेंं अप्रत्याशित परिवर्तन हो जाता है। लोगों के जीवन की बाधक तत्वों को दूरकर जीवन में नई रोशनी का मार्ग प्रशस्त करते हैं।जिससे दुखियों की आत्मा खुशियों से भर जाती है।इनकी सज्जनता से आकृष्ट होकर लोग सद्गुण को आत्मसात करते हैं।

मानवतावादी विचारधारा के लोग अपने कर्तव्य पथ पर पूरी निष्ठा और सच्ची लगन से डटकर कठिनाइयों का सामना करते हुए मानवता की रक्षा करते हैं।सच्ची भलाई करने में वे अपना जीवन तक न्योछावर करने से डिगते नही।अपनी सच्ची सेवा भक्ति से ये लोगों के दिलों में अमिट छाप बना लेते हैं।
धन्य हैं,ये जिनके सुकर्मों से जगत में इंसानियत का अस्तित्व सुरक्षित है अन्यथा सर्वत्र व्यभिचार और अराजकता का माहौल बना रहता।वास्तविकता में ये कर्मवीर और मानवता के रक्षक माने जाते हैं जो इस पृथ्वी को स्वर्ग के रूप में परिणत करने की प्रयास में लगे हैं।

धन्यवाद।




No comments:

Post a Comment

Visarg sandhi

                       विसर्ग संधि विसर्ग संधि की परिभाषा : विसर्ग संधि के नियम :  विसर्ग संधि का उदाहरण : परिभाषा : विसर्ग (:) ...