Tuesday, October 8, 2019

समाज की बदलती मानसिकता

          समाज की बदलती मानसिकता


प्राचीन काल से चली आ रही महिलाओं के प्रति सामाजिक रूढिवादी मानसिकता मेंं अब बहुत बदलाव देखा जा रहा है।आज सब यह जान चुके हैं कि महिलाओं का स्थान समाज मेंं अतुलनीय है।उसके अभाव मेंं समाज या राष्ट्र का विकास कदापि नही हो सकता है।राष्ट्र को शिखर मेंं पर पहुँचाने में योगदान हेतु महिलाएं प्रबल दावेदार मानी जाती हैं।

किसी भी समाज की सभ्यता का मूल्यांकन महिलाओं के प्रति पुरूषों के दृष्टिकोण को देखकर किया जाता है।

आदिकाल से ही समाज मेंं महिलाओं को उपेक्षित किया जाता रहा है।सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों और योजनाओं के परिणामत:महिलाओं को अनेक अधिकारों से विभूषित किए जा रहे हैं जिससे समाज मेंं जागृति आ गई है और महिलाएं भी जागरूक हो रही हैं।समाज को महिलाओं की महत्ता का ज्ञान प्राप्त हो रहा है यह कि उन्हें उपेक्षित कर किसी भी समाज की सभ्यता का विकास नही हो सकता एवं राष्ट्र की प्रगति भी नही हो सकती है।

सर्वविदित है " यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता " इसका आशय है - जहाँ नारी पूजी जाती है वहाँ ईश्वर का वास होता है।

जिस समाज मेंं महिला का सम्मान नही किया जाता उस समाज का उन्नति से दूर-दूर तक कोई संबंध नही रहता है।

वर्तमान समय मेंं इस धारणा को अपनाकर महिलाओं को आगे बढाकर अपने समान स्थान देकर समाज अपनी मानसिकता को परिवर्तित करने की दिशा मेंं अग्रसर है।

महिलाओं को स्वतंत्रता प्रदान करने के फलस्वरूप आज ये अनेक उत्कृष्ट उपलब्धियां प्राप्त कर रही हैं।धरती से आसमान तक की उँचाइयों को छू रही हैं। राष्ट्र को विकास के शिखर तक पँहुचाने की प्रबलता उनमें देखी जा रही है।ये पूरे विश्व मेंं अपनी जीत का परचम लहरा रही हैं।

राजनीति और खेल के क्षेत्र मेंं इन्होंने अद्भुत योग्यता का प्रदर्शन कर सबको चकित कर दिया है इससे पुरूष वर्ग भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

महिलाएं अपनी रूचि के आधार पर अपने क्षेत्र का चयन कर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर सर्वोत्तम प्रदर्शन कर अपने राष्ट्र का नाम बुलंदियों तक पँहुचाया है।इसके अनेक उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।

उनके दृष्टिकोण से जिस किसी भी क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देकर,सर्वस्व शक्ति का प्रयोग कर सर्वोपरि उपलब्धि को प्राप्त किया जा सकता है।उन्हें अपनी चयनित क्षेत्र के प्रति कदापि विपरीत दृष्टिकोण नही रहा।उनकी यह प्रबल सोच रही कि वे अपने क्षेत्र मेंं नि:संदेह महारत हासिल करेंगी।महिलाएं अपनी सकारात्मक सोच से अपने लक्ष्य को सर्वोपरि मानकर एवं उस पर ध्यान केन्द्रित करते हुए निर्णायक मोड़ पर पँहुच जाती हैं।

नारी सशक्तिकरण लिंगभेद के प्रति करारा जवाब है।यह पुरूष और महिलाओं के बीच बनी भेदभाव की गहरी खाई को पाटने का कार्य करती है।इसके बिना मानवता का विकास अधूरा है। एक शिक्षित महिला के प्रभाव से कई पीढियों तक शिक्षा का संबंध बना रहता है।महिलाओं मेंं नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता होती है।अवसर मिलने पर वह उसे प्रमाणित कर सकती हैं।ऐसे बहुत सारे दृष्टांत इस संसार मेंं उपलब्ध हैं।

धन्यवाद।

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Visarg sandhi

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