नारी की अहमियत
नारी के अनेक रूप होते हैं।कभी यह किसी की पुत्री, किसी की बहन,किसी की पत्नी और किसी के माँ के रूप मेंं अपने परिवार के लिए खुशियाँ संग्रह करती है।
नारी सहनशीलता की देवी होती है।सृष्टि निर्माण मेंं नारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।एक परिवार के निर्माण की कल्पना नारीरहित कदापि नही की जा सकती है।
नारी घर को एक वास्तविक स्वरूप प्रदान करती है।यह घर को अनुकूल वातावरण की प्राप्ति हेतु संजोती एवं संवारती है।यह परिवार के सभी सदस्यों को एकता के सूत्र मेंं बाँधकर परिवार को एक बल प्रदान करती है। जिस परिवार मेंं एक भी शिक्षित नारी होती है वह परिवार के सोच को एक नई दिशा प्रदान करती है।
घरेलू कार्य निबटाने के उपरांत उसे अपने बारे मेंं सोचने का बहुत कम ही अवसर मिलता है।कुछ नारियों को अपने पति और बच्चे को तैयार कर उनके गंतव्य स्थान भेजकर कुछ खाली समय मेंं पारिवारिक धारावाहिक देखकर अपना मनोरंजन कर लेती हैं।कुछ और समय मिलने पर ये अपने पड़ोसियों या सहेलियों के साथ मिलकर अपने-अपने परिवार से संबंधित सुख-दुख की बातें कर अपना मन बहला लेतींं हैं।इन्हें व्यस्तता का प्रयाय भी कहा जा सकता है।जिस घर मेंं नवजात बच्चे हों तो उनकी व्यस्तता और बढ जाती है।
एक परिवार के तीन स्तंभ होते हैं।
प्रथम स्तंभ परिवार का मुखिया पुरूष वर्ग होता है जो घर के सभी सदस्यों की जीविका के लिए धन संग्रह करता है जिससे घरेलू आवश्यताएं पूरी की जाती है।
दूसरा स्तंभ घर की नारी होती है। एक घर की सारी जिम्मेदारी उन पर होती है।भोजन तैयारी से लेकर ,घर की सफाई के साथ वस्त्रों की सफाई एवं बच्चे की देखभाल आदि का दायित्व नारियां बखूबी निभाती हैं।
तीसरा स्तंभ बच्चे हैं जो घर की खुशी का दूसरा नाम होते हैं।ये परिवार मेंं खुशियाँ बांटते हैं।बच्चे का पिता बाहर के काम निबटाकर थका-हारा घर लौटता है तो बच्चे का दर्शन पाकर उसकी सारी थकान दूर हो जाती है और वह प्रफुल्लित हो जाता है।ऐसा लगता है मानो उसे संसार की सारी खुशियाँ मिल गई हो।
बच्चे की मां की स्थिति यह होती है कि वह बच्चे के साथ अधिक समय गुजारती है इसलिए वह बच्चे की हर गतिविधियों की जानकारी रखती है। बच्चे के साथ उसका व्यवहार बच्चे जैसा हो जाता है।लाख कष्टों के बाबजूद वह उसे बच्चे के सामने प्रकट किए बिना हरसंभव उसकी अपेक्षाओं को पूर्ण करती है। वह बच्चे की खुशी मेंं अपनी खुशी प्राप्त करती है।
इन तीनों स्तंभों मेंं से किसी एक अभाव मेंं परिवार की नैया डगमगा जाती है।घर की खुशियाँ और शांति गायब हो जाती है और घरेलू कार्यप्रणाली अस्तव्यस्त हो जाती है।
इससे यह प्रतीत होता है कि परिवार मेंं नारी की बहुत अहमियत होती है।किसी भी घर मेंं नारी के प्रवेश से परिवार का विस्तार होता है और इससे लक्ष्य निर्धारित सोच विकसित होती है।
धन्यवाद।
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